Antim Jain Tirthankar Kaun The: जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर
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महावीर स्वामी जैनधर्म के अंतिम एवं 24वें तीर्थंकर तथा जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक थे।
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स्वामी महावी का जन्म वैशाली के निकट कुण्डग्राम के ज्ञातृक कुल के प्रधान सिद्धार्थ के यहां 599 ई पू में हुआ था।
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इनकी माता त्रिशला अथवा विदेहदत्ता वैशाली के लिच्छवि कुल के प्रमुख चेटक की बहन थीं।
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पत्नी यशोदा थी जिससे 'प्रियदर्शना' नामक पुत्री का जन्म हुआ।
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स्वामी महावीर को 12 वर्ष की तपस्या के बाद 42 वर्ष की अवस्था में जृम्भिग्राम के समीप ऋजुपालिका नदी के किनारे साल के एक वृक्ष के नीचे कैवल्य की प्राप्ति हुई थी।
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उन्होंने 30 वर्ष की उम्र में माता- पिता की मृत्यु के पश्चात अपने बड़े भाई नंदीवर्धन से अनुमति लेकर संन्यास- जीवन को स्वीकारा था।
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महावीर ने अपना उपदेश प्राकृत भाषा में दिया।
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महावीर ने अपने शिष्यों को 11 गणधरों में विभाजित किया था।
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आर्य सुधर्मा अकेला ऐसा गंधर्व था जो महावीर की मृत्यु के बाद भी जीवित रहा और जो जैनधर्म का प्रथम थेरा या मुख्य उपदेशक हुआ।